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हमारे बारे में

आजाद सनातन सेना एक सामाजिक संगठन है यह किसी हठ धर्मिता से बधी नहीं है ! संगठन तुष्टिकरण की नीति में विश्वास न रखकर देश में दोहरे कानून को समाप्त करने का पक्षधर है ! संगठन के सेनानायक श्री संदीप पाण्डेय (जोगी)जी “वैदिक सनातन की आस" की स्पष्ट सोच है कि न्याय सबको तुष्टीकरण किसी का नहीं ! एक राष्ट्रवादी व्यक्ति चाहे वह किसी भी मजहब का हो “आजाद सनातन सेना” सम्मान करती है ! जाति आधारित राजनीती से समाज में जो कटुता का वातावरण है, “आजाद सनातन सेना” उसके विरुद्ध जाति-पाँति के सिद्धांतों में विश्वास न रखते हुए कर्म योगियों के माध्यम से समाज में समरसता लाना चाहती है ! “आजाद सनातन सेना” मानती है कि दलित चेतना के उभार को आरक्षण की बैशाखी नहीं वरन परस्पर सद्भाव एवम् सम्मान की सीढ़ी चाहिए, जिससे जातिगत आरक्षण समाप्त कर आर्थिक आधार के अनुसार आरक्षण मिल सकें और बंट रहे समाज को एक समरसता के सूत्र में पिरोया जा सके

दूसरों से अलग कैसे ?

संसार में प्राय: सभी संगठन अब तक अन्याय का ही विरोध करते आये हैं I लेकिन आज तक अन्याय मिटा नही, क्योंकि अंधकार का विरोध करने से अंधकार मिटता नही, बल्कि उसका विरोध करने वाले ही मिट जाते है और अन्यायरूपी अंधकार ज्यो का त्यों बना रहता है I विगत हजारों वर्षों का इतिहास इस बात का साक्षी है I अन्यायरूपी अंधकार को मिटने के लिए धर्म न्याय का प्रकाश ही जलाना पड़ता है I अंधकार को मिटाना नही पड़ता क्योंकि प्रकाश की उपस्थिति में अंधकार स्वत: मिट जाता है, लेकिन जो भी संगठन अन्याय का विरोध कर रहे हैं, हम उनको रोकते नहीं, वे अपना विरोध जारी रखे, इसी बीच “आजाद सनातन सेना" अपने वीरता से "धर्म न्याय" स्थापना को मंजिल तक पहुँचा देगी क्योंकि सनातन धरती को “धर्म न्याय” की जरुरत है I अत: “आजाद सनातन सेना" “धर्म न्याय” को स्थापित करने में ही अपनी सारी उर्जा को लगाएगी, अन्याय के विरोध में नहीं I क्योंकि अन्याय के विरोध का काम तो बाकी लोग हजारों वर्षों से कर रहे है और अपनी सारी उर्जा को अन्याय के विरोध पर ही व्यय कर रहे हैं I ऐसे में एक संगठन तो धरती पर होना चाहिए जो “धर्म न्याय” की स्थापना के लिए काम करता हो, और ऐसे ही संगठन का नाम “आजाद सनातन सेना" हैI

संगठन के उद्देश्य

हिंदुस्तान की गौरवमयी अतीत की पुनर्वापसी के कटिबद्ध "आजाद सनातन सेना" राष्ट्रीयत्व को अपना धर्म तथा अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद को अपना आदर्श मानती है ! इस संगठन के सेनानायक श्री संदीप पाण्डेय (जोगी)जी “वैदिक सनातन की आस" अपने आदर्श अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद के नाम पर ही संगठन का नाम “आजाद सनातन सेना” रखा ! यह संगठन अपने आदर्श अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद के चरणों में साष्टांग प्रणाम करते हुए देश को अराजकता, भ्रष्ट्राचार, जातिवाद, छंद्भ धर्म निरपेक्षता से मुक्त, संघर्षशील एवम् दृढ़ प्रतिज्ञ है ! राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने वाली “आजाद सनातन सेना” पूरी तरह से इस देश को और देश वाशियों तथा इसकी संस्कृत के प्रति समर्पित संगठन है और वर्तमान निराशाजनक स्थिति में एक नया सम्पूर्ण तथा उच्च विकल्प देने का वादा करती है ! सामान कानून, भ्रष्ट्राचार मुक्त जन व्यवस्था, और तुरंत न्याय में विश्वास रखने वाली "आजाद सनातन सेना" देश के प्रत्येक सनातनी हिन्दुओं के जीवन और सम्मान की सुरक्षा के लिए कृत संकल्प है ! “आजाद सनातन सेना” किसी हठ धर्मिता से बधी नहीं है ! संगठन तुष्टिकरण की नीति में विश्वास न रखकर देश में दोहरे कानून को समाप्त करने का पक्षधर है ! संगठन के सेनानायक श्री संदीप पाण्डेय (जोगी)जी “वैदिक सनातन की आस" की स्पष्ट सोच है कि न्याय सबको तुष्टीकरण किसी का नहीं ! एक राष्ट्रवादी व्यक्ति चाहे वह किसी भी मजहब का हो “आजाद सनातन सेना” सम्मान करती है ! जाति आधारित राजनीती से समाज में जो कटुता का वातावरण है, “आजाद सनातन सेना” उसके विरुद्ध जाति-पाँति के सिद्धांतों में विश्वास न रखते हुए कर्म योगियों के माध्यम से समाज में समरसता लाना चाहती है ! “आजाद सनातन सेना” मानती है कि दलित चेतना के उभार को आरक्षण की बैशाखी नहीं वरन परस्पर सद्भाव एवम् सम्मान की सीढ़ी चाहिए, जिससे जातिगत आरक्षण समाप्त कर आर्थिक आधार के अनुसार आरक्षण मिल सकें और बंट रहे समाज को एक समरसता के सूत्र में पिरोया जा सके !
“आजाद सनातन सेना” की देश की युवा एवम् छात्र वर्ग में पूर्ण आस्था है, क्योंकि यह पीढ़ी आगे चलकर नवभारत का निर्माण करेगी ! इसलिए यह पीढ़ी अपने आप को कुंठित महशुस ना करे, “आजाद सनातन सेना” उद्धोगों में युवा पीढ़ी के लिए 80% आरक्षण की हामी है, किन्तु कॉलेजों और नौकरी में जाति आधार पर आरक्षण की विरोधी, क्योंकि “आजाद सनातन सेना” इस पीढ़ी को जातियों में बंटा नहीं देखना चाहती है I राष्ट्रीय जीवन की सांस्कृतिक जड़ों को मजबुत करते हुए “आजाद सनातन सेना” विज्ञान तथा तकनीकि के आधार पर देश का विकास कर आधुनिक बनाना चाहती है, किन्तु उच्च तकनीकि के साथ-साथ लघु कुटीर उद्योगों को “आजाद सनातन सेना” प्रथम वरीयता देती है I

“आजाद सनातन सेना" मानती है कि कृषि इस देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, अत: कृषकों के लिए बेहतर से बेहतर सुविधायें एवम् कृषी आधारित उद्ध्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे देश में समृद्धता आ सके I महिलाओं को “आजाद सनातन सेना” मातृशक्ति के रूप में देखती है, क्योंकि उनके ही माध्यम से हिन्दुस्तान की भविष्य बनाने वाली पीढ़ी का जन्म होगा अत: महिलाओं को यथोचित सम्मान, रोजगार के अवसर एवम् समानता का अधिकार मिलना चाहिए I
सामाजिक समरसता एवम् व्यवस्था को बनाये रखने में न्याय पालिका का महत्वपूर्ण स्थान है, अत: न्याय मिलने की व्यवस्था में आमूल-चुल परिवर्तन जिससे नागरिकों को तुरंत, कम खर्चीला और निष्पक्ष न्याय मिल सके I गोवंश का सम्मान एवम् गौ रक्षा भारतीय संस्कृती की एक महत्वपूर्ण एवम् प्राचीन अवधारणा रही है “आजाद सनातन सेना” इस अवधारणा की पक्षधर है I

“आजाद सनातन सेना” मानती है कि एक शिक्षित नागरिक भारत के नवनिर्माण में अपनी मत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा, अत: “आजाद सनातन सेना” शिक्षा के स्तर की गुणवत्ता में सुधार एवम् शत-प्रतिशत साक्षरता के लिए कृत संकल्प है I स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है, अत: “आजाद सनातन सेना” इस अवधारणा में विश्वास रखते हुए खेल आदि गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए अपने सामाजिक उत्तर-दायित्यों का निर्वाह करना चाहती है I
“आजाद सनातन सेना” समग्र क्रांती के लिए प्रयत्नशील है, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, वैचारिक इत्यादि I “आजाद सनातन सेना” इसको उत्साह बढ़ाने वाले सुयोग्य और स्वच्छ जीवन व राष्ट्र के लिए निःस्वार्थ सेवा की भावना रखने वाले प्रतिनिधियों और निष्ठापूर्ण कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं के द्वारा कार्यान्वित करना चाहती है I इस लक्ष्य की सफलतम पूर्ति के लिए “आजाद सनातन सेना” के पास स्पष्ट सिद्धांत, ठोस नीतियाँ, सर्वोत्तम नेतृत्व और समर्पित कार्यकताओं का बल है I

आज़ाद सनातन सेना

संदीप पाण्डेय "जोगी"

संस्थापक अध्यक्ष

आज़ाद सनातन सेना

श्रीपति उपाध्याय

अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष

आज़ाद सनातन सेना

अजय त्रिपाठी

राष्ट्रीय प्रभारी

आज़ाद सनातन सेना

आदरणीय

भारत वासी भाइयों और बहनों, जय श्रीराम ! जय सनातन !!
वैदिक सनातन अखण्ड भारत की परिकल्पना..!
सनातन भारत की पुरातन वैदिक विरासत जहां कोइ जाती-पाँति का सवाल नहीं था। मानवता जहाँ सबसे पावन धर्म और कर्म था। जीव-जंतु, वनस्पति, पेड़-पौधे, हमारे जीवन के विशेष अंग थे। जहां नारी, भूमि और गैया को हम मैया का सम्मान और आदर देते थे, जिनकी रक्षार्थ हम जान की बाजी लड़ा देते थे। गुरु को जहां ईश्वर से पहले पूजा जाता था और देवों से पहले माता-पिता की चरण वंदना हुआ करती थी। जहां शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, जीवन शैली, समृद्धि,शौर्य, बलिदान और नैतिकता विश्व भर में सर्वोत्तम थी यही कारण था की समूचा विश्व भारत को गुरु मानता था। और यही कारण था की समूचा विश्व भारत भूमि पर पहुचना अपना सबसे बड़ा सौभाग्य समझता था, और यही कारण था कि भारत पर गिद्धों की नजर रहती थी। युगों तक हम दुष्टों को पराजित कर अपने भारत को बचाते रहें। अब इसको हमारी सहृदयता कहिये, भोलापन कहिये या दुर्भाग्य कहिये कि काल खंड में स्वार्थ, लालच और ईर्ष्या से जयचन्दों का जन्म हुआ परिणाम स्वरूप् हम गुलामी के अन्धकार में समाते चले गए। हर तरह के जुल्म, लूट और भयानक दानवीय अत्याचार सहने को मजबूर हुए पर हमनें अपने धर्म, परम्पराओं और संस्कारों को बचाये रखा। लाखों वीर जवानों, माताओं, बहनों का बलिदान देकर आखिर हम नाम मात्र के आजाद हुए। असली दुर्भाग्य 1947 के बाद शुरू हुआ। जब हम नामर्दों, नकाबपोश धोखेबाजों के हाथो में शाशन सौंप कर हम निश्चिन्त हो गए। अपने बनकर दुष्ट हमें विभाजित कर लूटते रहे। खंड-खंड कर डाला समाज और देश को। भाषा जाती और क्षेत्रीय विवादों को जानबूझ कर पैदा किया गया। इस देश की धर्मभीरु जनता समझ ही नहीं पाई और जयकारें लगाती रह गयी। 75 साल बाद हम आज कुछ-कुछ समझने लगे है आजादी का नशा टूटने लगा है दुष्ट सत्ता के लालची भेडियों की पहचान मिल रही है। पर अब-तक संस्कार और संस्कृति का इतना बड़ा नुकसान हो चुका है की भरपाई कितना समय लेगी किसी को नहीं मालूम। हाँ नजदीक तो दिखाई नहीं दे रही। सार्थक अथक समर्पित एकता के साथ किये गए प्रयास ही सनातन की मूल अवधारणा को पुनर्स्थापित कर सकती है। सबसे बड़ा और घातक षड्यंत्र है "हिन्दू" नाम जिसका कही कोई वजूद नहीं, शास्त्र सम्मत नहीं पर सनातनियों को हिन्दू कहना शुरू कर दिया। सिक्ख-जैन-बौद्ध आदि सनातन घटक के बिना वास्तविक वैदिक अखण्ड भारत की कल्पना ही असंभव है। हिन्दू बनाकर सनातन को खंडित किया गया है। "आजाद सनातन सेना" का गठन इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए किया गया है। यहाँ आप एक सैनिक और सेना नायक के रूप में वैदिक अखण्ड भारत की पुनर्स्थापना में अपनी सहभागिता निश्चित कर सकेंगे। यदि हम लोग सत्यात्मक एवं सनातन न्यायधर्म के पथ पर लौट आयें तो केवल एक वर्ष में ही देश का उद्धार हो जाना निश्चित है...!!! वन्देमातरम.....! जय श्रीराम ..! जय सनातन ..!! आपका शुभेच्छुक "सन्दीप पाण्डेय "जोगी" "वैदिक सनातन" की आस

आर्थिक सहयोग करें

आजाद सनातन सेना द्वारा आयोजित सनातन समागम व 551 श्रीराम चरित मानस वितरण कार्यक्रम तथा 51 लोगों को सनातन रत्न, सनातन श्री व सनातन गौरव जैसे सम्मान से सम्मानित किया जाना सुनिश्चित है, जिसमें लगभग 25-30 लाख रुपए खर्च होना है, जो कि किसी एक व्यक्ति से सम्भव नही है, आजाद सनातन सेना संगठन आपका है, कार्यक्रम आपका है, इसे आप लोगों को मिलकर ही सफल बनाया जा सकता है, अत: आप लोगों से सहयोग अपेक्षित है।

 

आप लोग आजाद सनातन सेना के ऑफिशियल खाता संख्या या  क्यू आर कोड स्कैंन करके जिससे जो हो सके यथासंभव अपना सहयोग सुनिश्चित करें।

 

 

Aazad Sanatan Sena

Account no – 42740664819

IFSC-SBIN0015539